संभल में सपा सांसद जियाउर्रहमान ने कराई थी हिंसा, पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की 1100 पन्नों की चार्जशीट, कहा था – सर्वे हुआ था कौम हम पर थूकेगी

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संभल। जामा मस्जिद सर्वे विवाद में भड़की सांप्रदायिक हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के पुत्र सुहैल इकबाल की मुश्किलें अब और बढ़ती नजर आ रही हैं। बुधवार को इस प्रकरण में पुलिस ने 1100 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट चंदौसी स्थित एमपी/एमएलए कोर्ट में दाखिल की, जिसमें कुल 23 नामजद व्यक्तियों के साथ-साथ 700 से अधिक अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।


चार्जशीट के अनुसार, सांसद बर्क पर भीड़ को उकसाने, भड़काऊ भाषण देने और हिंसक प्रदर्शन को दिशा देने का आरोप है। वहीं, विधायक के बेटे सुहैल पर आरोप है कि उन्होंने हिंसा की भीड़ के बीच से अधिकारियों पर फायरिंग करवाई, जिससे कानून व्यवस्था और ज्यादा बिगड़ गई।

 


क्यों हुई थी हिंसा?


24 नवंबर 2024 को संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद का कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया जा रहा था। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और देखते ही देखते स्थिति बेकाबू हो गई। हिंसा में चार युवकों की जान गई और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें एसपी, सीओ और डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी भी शामिल थे।


पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि हिंसा के एक दिन पहले, यानी 23 नवंबर की रात, सांसद बर्क ने मस्जिद के सदर जफर अली को फोन कर कहा था “कौम हम पर थूकेगी अगर सर्वे हुआ। किसी भी हालत में यह सर्वे नहीं होना चाहिए। भीड़ जुटाओ।”


इसके बाद, 24 नवंबर को जुमे की नमाज के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया। इसी दौरान, विधायक पुत्र सुहैल इकबाल ने कथित रूप से भीड़ को और भड़काया और सीओ पर गोली चलवाने का आरोप उन पर दर्ज किया गया है।

 


हिंसा में 90 हो चुके हैं गिरफ्तार


अब तक इस मामले में कुल 90 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, जिनमें मस्जिद प्रबंधन समिति के सदर जफर अली एडवोकेट भी शामिल हैं। सांसद बर्क से इस प्रकरण में SIT ने 8 अप्रैल को थाना नखासा में चार घंटे तक पूछताछ की थी। उससे पहले 25 मार्च को दिल्ली स्थित उनके निवास पर नोटिस तामील कराया गया था।


भड़काऊ भाषण में मस्जिद और मुसलमानों की भावनाओं को लेकर उकसावे का आरोप


चार्जशीट में सांसद के उस बयान को भी उद्धृत किया गया है, जो उन्होंने 22 नवंबर को मस्जिद में नमाज के दौरान दिया था। उन्होंने कहा था कि यह मस्जिद कयामत तक रहेगी। हम इस देश के मालिक हैं, गुलाम नहीं। हम अपनी मस्जिद के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। सांसद ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई और सर्वे में जल्दबाज़ी का आरोप लगाते हुए कहा था कि हमें सुना ही नहीं गया। पहले हमारी बात सुनी जानी चाहिए थी।


उन्होंने पुलिस बल की मौजूदगी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इतनी फोर्स क्यों लगाई गई? यहां कोई जंग नहीं हो रही, केवल नमाज अदा की जा रही है।

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