युवाओं को बर्बाद कर रही ‘डार्क वेब’ को जानने की उत्सुकता, विशेषज्ञ ने भगवद्गीता का उदाहरण देकर समझाया, आप भी सुनिए

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इंटरनेट की दुनिया में ‘डार्क वेब’ एक ऐसा रहस्यमयी और खतरनाक हिस्सा है, जो आज की युवा पीढ़ी के बीच तेजी से जिज्ञासा का विषय बनता जा रहा है। गूगल, क्रोम या अन्य आम ब्राउज़र के माध्यम से जहां हम रोजाना इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, वहीं डार्क वेब एक छिपी हुई परत है, जिसे देखने और एक्सेस करने के लिए विशेष तकनीकी साधनों और टूल्स की आवश्यकता होती है।


युवाओं में बढ़ती इस उत्सुकता को लेकर साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अमित दुबे ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिए चेतावनी दी है। उन्होंने तकनीकी जोखिमों से ज्यादा मानसिक और नैतिक खतरों को रेखांकित करते हुए युवाओं से डार्क वेब से दूर रहने की अपील की। दिलचस्प बात यह रही कि उन्होंने अपने तर्क को समझाने के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का उदाहरण भी दिया।

 


उत्सुकता बन रही है नई कमजोरी


वीडियो में एक युवा ने सवाल किया कि आजकल कई सामान्य इंटरनेट यूजर, जिनका आपराधिक गतिविधियों से कोई संबंध नहीं है, वे केवल जिज्ञासा के चलते डार्क वेब तक पहुंचना चाहते हैं। इस पर जवाब देते हुए अमित दुबे ने गीता का उल्लेख किया और बताया कि गीता में मानव की पांच प्रमुख कमजोरियों – काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार – के बारे में बताया गया है। लेकिन आज के समय में एक छठी कमजोरी उभरकर सामने आ रही है – अतिजिज्ञासा।


उन्होंने कहा कि वही लोग सबसे अधिक कष्ट और नुकसान उठाते हैं, जो हर चीज को जानने की तीव्र इच्छा रखते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें किसी भी हद तक जाना पड़े। यह इच्छा ही धीरे-धीरे व्यक्ति को मानसिक रूप से खींच लेती है, ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल में एक 5 मिनट की रील देखने के इरादे से उठाया गया फोन कब घंटों समय खा जाता है, इसका अंदाज़ा भी नहीं होता। इसी क्रम में डार्क वेब का आकर्षण भी युवाओं को धीरे-धीरे गहरे जाल में उलझा सकता है।


सामान्य ब्राउज़र से नहीं हो सकता एक्सेस


डार्क वेब को कोई साधारण इंटरनेट ब्राउजर एक्सेस नहीं कर सकता। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर जैसे TOR ब्राउज़र की आवश्यकता होती है, जो यूजर की पहचान को छुपाकर नेटवर्क तक पहुंचाता है। यह प्लेटफॉर्म मुख्यतः गुप्त बातचीत, गुप्त दस्तावेजों के आदान-प्रदान और ऐसी गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है, जिन्हें सामान्य कानून और नियमों से बचाकर अंजाम देना होता है।


हालांकि डार्क वेब का प्रयोग कभी-कभी सामाजिक कार्यकर्ताओं, खोजी पत्रकारों या राजनीतिक असंतोष को छुपाने वालों द्वारा भी किया जाता है, लेकिन इस पर भारी संख्या में आपराधिक गतिविधियां भी पनपती हैं। रिपोर्टों के अनुसार, डार्क वेब पर अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त, फर्जी दस्तावेजों की बिक्री, ड्रग्स, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और यहां तक कि हैकिंग सर्विसेज का खुला बाजार चलता है।

 


विशेषज्ञों का कहना है कि डार्क वेब पर सक्रिय साइबर अपराधी बड़ी कंपनियों का संवेदनशील डाटा चुराकर उसे वहां बेचते हैं और मोटा मुनाफा कमाते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि डार्क वेब पर कोई निगरानी या कानूनी ढांचा प्रभावी नहीं होता। यदि कोई आम नागरिक यहां किसी धोखाधड़ी या साइबर अपराध का शिकार होता है, तो उसे न तो पहचान पाना आसान होता है और न ही पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना।


पैसा और समय दोनों हो सकते हैं बर्बाद


अमित दुबे ने वीडियो में यह भी कहा कि डार्क वेब की ओर बढ़ती उत्सुकता सिर्फ समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि यह आर्थिक और मानसिक नुकसान की भी शुरुआत हो सकती है। वहां पहुंचने के बाद व्यक्ति को फर्जी स्कीम्स, फिशिंग साइट्स और हैकिंग जालसाजी के चंगुल में फंसने में ज्यादा समय नहीं लगता।

 

 
 
 
 
 
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डार्क वेब में एक बार घुसने के बाद लौट पाना आसान नहीं होता क्योंकि वहां का सिस्टम अनियमित, गुमनाम और जोखिम भरा है। जो युवा केवल रोमांच या "सब जानने की ललक" में इसे एक्सप्लोर करना चाहते हैं, वे अनजाने में खुद को अपराध के दरवाजे पर खड़ा कर सकते हैं।

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