छत्तीसगढ़ में एक बहुचर्चित ठगी के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले केके श्रीवास्तव को भोपाल से गिरफ्तार कर लिया है। केके पर दिल्ली के एक कारोबारी को 500 करोड़ का सरकारी प्रोजेक्ट दिलाने के नाम पर 15 करोड़ रुपये ठगने का आरोप है। इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) बीते एक साल से उसकी तलाश में जुटी हुई थी।
जानकारी के मुताबिक, श्रीवास्तव की गिरफ्तारी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक लग्जरी होटल एमराल्ड से की गई, जहां वह छुपा बैठा था। EOW को इनपुट मिला था कि वह होटल में ठहरा है, जिसके बाद टीम ने मौके पर पहुंचकर उसे दबोच लिया। फिलहाल उसे रायपुर लाया जा रहा है, जहां कोर्ट में पेश कर न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
फरारी की कहानी: नेपाल से लेकर आईफोन तक
जांच एजेंसियों के मुताबिक, फरारी के दौरान श्रीवास्तव न सिर्फ देश के विभिन्न राज्यों में छिपता रहा, बल्कि नेपाल तक भाग गया था। इस दौरान उसने कई बार अपना ठिकाना बदला और पुलिस की ट्रैकिंग से बचने के लिए 10 लाख से ज्यादा के कई आईफोन तोड़े। पुलिस का दावा है कि वह बेहद शातिर तरीके से खुद को लोकेट होने से बचा रहा और डिजिटल छाप छुपाने में माहिर था।
किस्सा एक बड़े घोटाले का
पूरा मामला तब सामने आया जब दिल्ली स्थित एक कारोबारी अशोक रावत, जो रावत एसोसिएट्स का मालिक है, उन्होंने आरोप लगाया कि श्रीवास्तव ने उसे छत्तीसगढ़ में स्मार्ट सिटी और एनआरडीए से जुड़ा 500 करोड़ का ठेका दिलाने का झांसा दिया। इसी बहाने उसने रावत से 15 करोड़ रुपये ऐंठ लिए। जब समय पर काम नहीं मिला और कारोबारी ने पैसे वापस मांगे, तो श्रीवास्तव ने 17 सितंबर 2023 तक पैसा लौटाने का वादा किया, लेकिन वह वादा भी झूठा निकला।
कारोबारी की ओर से जब दबाव बढ़ा, तो श्रीवास्तव ने अपने बेटे कंचन श्रीवास्तव के खातों से करीब 3.40 करोड़ रुपये लौटाए और बाकी रकम चेक के जरिए देने का वादा किया। लेकिन दिए गए तीनों चेक बाउंस हो गए।
धमकी और दबाव की राजनीति
पीड़ित कारोबारी ने जब श्रीवास्तव से संपर्क कर बचे हुए पैसे मांगे, तो जवाब में उसे जान से मारने की धमकी दी गई। आरोप है कि केके श्रीवास्तव ने खुद को नक्सलियों और प्रभावशाली राजनेताओं से जुड़ा बताया और धमकाया कि वह उसके परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है। इस धमकी के बाद तेलीबांधा थाने में FIR दर्ज कराई गई। FIR में श्रीवास्तव और उसके बेटे दोनों को नामजद किया गया है।
जांच में खुलते नए परतें
इस पूरे मामले की जांच जब गहराई से शुरू हुई, तो सामने आया कि श्रीवास्तव के नाम पर और उसके रिश्तेदारों के खातों में करीब 300 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। हैरान करने वाली बात यह थी कि ये खाते समाज के गरीब तबके के नाम पर खोले गए थे, जिनमें फर्जी तरीके से करोड़ों रुपये जमा कराए गए थे।
आरोप है कि केके श्रीवास्तव न सिर्फ ठगी करता था, बल्कि कई नेताओं के लिए काली कमाई को सफेद करने का काम भी करता था। हवाला के जरिए वह पैसे दिल्ली तक पहुंचाता था और इन पैसों को वैध दिखाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाता था।
ग्लोमैक्स इंडिया: एक जालसाजी का चेहरा
शिकायतकर्ता अजय कुमार ने बताया कि श्रीवास्तव ने ‘ग्लोमैक्स इंडिया’ नामक फर्जी कंपनी के दस्तावेज तैयार किए और छत्तीसगढ़ सरकार के नाम पर जाली समझौते बनाकर सौदेबाजी की। इसी जाल में फंसकर कारोबारी ने पैसे ट्रांसफर कर दिए थे।
ईडी और आयकर विभाग इस पूरे लेन-देन की जांच कर रहे हैं। अभी तक सामने आया है कि आरोपी ने 80 से ज्यादा बार अलग-अलग खातों में पैसा ट्रांसफर किया है, जिनकी जांच अभी जारी है।
तंत्र-मंत्र और राजनीति का गठजोड़
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि श्रीवास्तव का संबंध न सिर्फ नौकरशाही से था, बल्कि वह प्रदेश के कई शीर्ष नेताओं के भी संपर्क में था। सूत्रों के अनुसार, कई नेता उससे तांत्रिक पूजा भी करवाते थे। यह भी बताया जा रहा है कि कांग्रेस शासनकाल में श्रीवास्तव की सीएम हाउस में सीधी पहुंच थी। हालांकि FIR में यह स्पष्ट नहीं है कि ये नेता किस पार्टी से जुड़े हैं, लेकिन इशारा कांग्रेस की ओर ही किया गया है।
न्यायिक शिकंजे में बड़ा ठग
केके श्रीवास्तव और उसके बेटे की अग्रिम जमानत पहले जिला अदालत और फिर सुप्रीम कोर्ट तक खारिज हो चुकी है। बावजूद इसके वे 10 महीने तक पुलिस को चकमा देते रहे। अब गिरफ्तारी के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि किन-किन बड़े नामों की परतें इस घोटाले के साथ खुलती हैं।
ईडी, आयकर विभाग और EOW अब मिलकर इस बहुस्तरीय जालसाजी की परतें खोलने में जुटे हैं। मामला अब सिर्फ 15 करोड़ की ठगी तक सीमित नहीं, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक गठजोड़ की गहराई तक जा चुका है।