वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद काशी की ऐतिहासिक दालमंडी की तस्वीर बदलने की प्रक्रिया अब तेज़ हो गई है। बीते कुछ दिनों में जिस चौड़ीकरण कार्य की केवल योजनाएं बन रही थीं, वह अब जमीनी स्तर पर दिखाई देने लगी हैं। शनिवार को नगर निगम, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), जलकल और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने दालमंडी क्षेत्र में पहुंचकर व्यापक सर्वेक्षण कार्य शुरू किया।
इस दौरान जिन मकानों और दुकानों को चौड़ीकरण की जद में पाया गया, उन पर लाल निशान लगा दिए गए हैं। अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि अगले चरण में इन इमारतों पर बुलडोज़र चलेगा। लाल निशान लगते ही क्षेत्र में हलचल बढ़ गई और घरों-दुकानों में रहने वाले लोगों को घर खाली करने की सख्त चेतावनी दी गई।
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यदि लोग स्वेच्छा से समय रहते घर खाली नहीं करते, तो बाद में मुआवजे की प्रक्रिया पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में लोगों को चेताया गया है कि अनावश्यक विवाद या टकराव से बचते हुए तय प्रक्रिया का पालन करें। वहीं, क्षेत्र में कई लोगों ने इस कार्रवाई पर अपनी असहमति भी जताई, लेकिन प्रशासन की सख्ती के आगे विरोध मुखर नहीं हो सका।
दालमंडी, जो कभी बनारस घराने के संगीत, कथक और ऐतिहासिक गलियों के लिए जानी जाती थी, अब शिव भक्ति के एक नवीन केंद्र के रूप में उभरने जा रही है। आने वाले समय में यहां ॐ नम: शिवाय और हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी योजना के तहत यहां 650 मीटर लंबी सड़क को 17 मीटर चौड़ा किया जाएगा।
इस योजना के अंतर्गत सड़क के दोनों किनारों पर आधुनिक ‘डिक्ट’ (DUCT) सिस्टम तैयार किए जाएंगे, ताकि भविष्य में किसी भी सुविधा – जैसे बिजली, पानी, इंटरनेट आदि के लिए – खुदाई की जरूरत न पड़े। इस पूरी परियोजना को एक आदर्श मॉडल सड़क के रूप में विकसित करने की योजना है।
दालमंडी और लंगड़ा हाफिज मस्जिद के बीच हुए सर्वे के दौरान पीडब्ल्यूडी और नगर निगम की टीम ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कार्य केवल सौंदर्यीकरण नहीं, बल्कि काशी विश्वनाथ धाम को और अधिक सुलभ, व्यवस्थित और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।
इस मेगाप्रोजेक्ट पर अनुमानित 220 करोड़ रुपये की लागत आएगी, लेकिन मुआवजे और पुनर्वास की जटिलताओं को देखते हुए कुल बजट 250 करोड़ रुपये तक भी जा सकता है।
वर्तमान में दालमंडी क्षेत्र में लगभग 10,000 दुकानें हैं, जिनमें से कई लंबे समय से अनधिकृत निर्माण के अंतर्गत आती हैं। इन सभी पर अब प्रशासन की पैनी नजर है और सर्वे के माध्यम से उन्हें चिन्हित किया जा रहा है।
यह पूरी कवायद वाराणसी को आधुनिक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम है। मुख्यमंत्री योगी की पहल ने एक ओर जहां काशी के मूल स्वरूप को आधुनिकता से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया है, वहीं दूसरी ओर यह परियोजना स्थानीय व्यापारियों और निवासियों के लिए भी एक नई चुनौती बनकर सामने आई है।
फिलहाल प्रशासन चौड़ीकरण कार्य को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर जुटा है। माना जा रहा है कि इस सड़क के चौड़ा हो जाने से न केवल श्री काशी विश्वनाथ धाम का मार्ग अधिक सुविधाजनक होगा, बल्कि दालमंडी क्षेत्र में यातायात, स्वच्छता और सुरक्षा की दृष्टि से भी क्रांतिकारी सुधार देखने को मिलेगा।